जिन वर्णों के उच्चारण में वायु धीरे से ली अथवा छोड़ी जाए ,उसे अल्पप्राण ध्वनियाँ कहते है .
प्रत्येक वर्ग का 1 , 3 ,5 वर्ण अल्पप्राण होता है .
क ग ङ .
च ज ञ .
ट ड ण.
त द न.
प ब म.
नोट - प्रत्येक अंत:स्थ व्यंजन अल्पप्राण होते है .[ य र ल व ]
महाप्राण -
जिन वर्णों के उच्चारण में वायु जोर से ली अथवा छोड़ी जाती है उसे महाप्राण ध्वनियाँ कहते है .
प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण महाप्राण होता है .
ख घ
छ झ
ठ ढ
थ ध
फ भ
नोट - प्रत्येक ऊष्म व्यंजन महाप्राण होता है .[ श ष स ह ]
तारत्व के आधार पर -
तारत्व के आधार पर वर्ण के दो भेद होते है -
घोष वर्ण
अघोष वर्ण
घोष वर्ण -
जिन वर्णों के उच्चारण में प्रकम्पन्न पैदा होता है ,उसे घोष वर्ण कहते है .
प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवां वर्ण घोष वर्ण होता है .
ग घ ङ
ज झ ञ
ड ढ ण
द ध न
ब भ म
नोट - प्रत्येक अन्तस्थ और ह घोष वर्ण है .[ य र ल व ह } प्रत्येक स्वर वर्ण घोष वर्ण होता है .
अघोष वर्ण -
प्रत्येक वर्ग का पहला और दूसरा वर्ण अघोष वर्ण है .
क ख
च छ
ट ठ
त थ
प फ
नोट - प्रत्येक ऊष्म व्यंजन [ ह को छोड़कर ] अर्थात श ष स अघोष वर्ण है .
उच्चारण के स्थान पर -
कंठ - क ख ग घ ङ अ ह अ:
तालू - च छ ज झ ञ इ य ज्ञ श
मूर्धा - ट ठ ड ण ऋ र ष
दन्त - त थ द ध न ळृ ल स
ओष्ठ - प फ ब भ म उ
दन्तोष्ठ - व
कान्ठोष्ठ - ओ औ
कंठ तालव्य - ए ऐ
कंठ-मूर्धा - क्ष
दन्त -मूर्धा - त्र
तालू-मूर्धा - श्र'
नासिक्य - ङ ञ ण न म
महत्वपूर्ण बिंदु
हिंदी में काकल्य वर्ण ( स्वर यंत्र मुखी ) केवल एक है - ह . हिंदी में वत्स्य वर्ण 4 है - र ल ज स वत्स्य का अर्थ होता है दंत के निचले हिस्से से बोले जाने वाले. हिंदी में स्पर्श संघर्षी वर्ण 4 है - च छ ज झ . हिंदी में संघर्षी वर्ण 3 है - श ष स. हिंदी में विवृत्त वर्ण केवल एक है - आ. अर्ध विवृत्त वर्ण तीन है - ऐ औ ऑ समृत्त वर्ण चार है - इ ई उ ऊ . अर्ध अमृत वर्ण दो है - ए ओ.
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