हिंदी [वर्ण रचना ] HINDI व्यंजन CONSONANTS
वर्ण (अक्षर )-
- ध्वनि की सबसे छोटी इकाई को वर्ण कहते है अथवा वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते है .
- वर्णमाला में वर्णों की संख्या 52 होती है .
- वर्णमाला में स्वर [11] , व्यंजन [39] , अयोगवाह [2] होते है .
व्यंजन वर्ण -
- जिन वर्णों का स्वतंत्र अस्तित्व नही होता है जो हमेशा स्वर वर्णों की सहायता से ही बोले जाते है ,उसे व्यंजन कहते है .
- व्यंजन वर्णों की कुल संख्या 39 है .
हिंदी [वर्ण रचना ] HINDI स्वर VOVEL
स्पर्श व्यंजन -
- जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में कंठ,तालू,मूर्धा,दन्त एवं ओष्ठ का प्रयोग होता है उसे स्पर्श व्यंजन कहते है .
- स्पर्श व्यंजनों की संख्या 25 है -
- क वर्ग - क ख ग घ ङ.
- च वर्ग - च छ ज झ ञ
- ट वर्ग - ट ठ ड ढ ण
- त वर्ग - त थ द ध न
- प वर्ग - प फ ब भ म
अंत:स्थ -
- जिन व्यंजनों के उच्चारण में श्वास अन्दर की तरफ खिची जाए .
- अंत:स्थ व्यंजनों की संख्या 4 है .
- [ य र ल व ]
ऊष्म व्यंजन -
- जिन वर्णों के उच्चारण में मुह से गरम हवा निकले.
- ऊष्म व्यंजनों की संख्या 4 है .
- [ श ष स ह ]
संयुक्त व्यंजन -
- जो व्यंजन वर्ण दो व्यंजनों से मिलकर बना होता है ,संयुक्त व्यंजन कहते है .
- संयुक्त व्यंजन की संख्या 4 है .
- [ क्ष त्र ज्ञ श्र ].
- क्ष = क् + ष.
- त्र = त् + र .
- ज्ञ = ज् +ञ.
- श्र =श् + र.
द्विगुण व्यंजन -
- जिन व्यंजन वर्णों में दो व्यंजन के गुण पाए जाते है .
- [ ड़ ढ़ ]
- इन्हें उत्क्षिप्त / आगत /निर्मित व्यंजन भी कहते है .
नोट
- हिंदी में फारसी भाषा के 5 वर्ण है - क़ , ख़ , ग़ , ज़ ,फ़ .
- हिंदी में तुर्की भाषा के दो शब्द है - ड़ ,ढ़ .
वायु संवेग के आधार पर -
वायु संवेग के आधार पर व्यंजन के 2 भेद होते है -
- अल्पप्राण
- महाप्राण
अल्पप्राण
- जिन वर्णों के उच्चारण में वायु धीरे से ली अथवा छोड़ी जाए ,उसे अल्पप्राण ध्वनियाँ कहते है .
- प्रत्येक वर्ग का 1 , 3 ,5 वर्ण अल्पप्राण होता है .
- क ग ङ .
- च ज ञ .
- ट ड ण.
- त द न.
- प ब म.
- नोट - प्रत्येक अंत:स्थ व्यंजन अल्पप्राण होते है .[ य र ल व ]
महाप्राण -
- जिन वर्णों के उच्चारण में वायु जोर से ली अथवा छोड़ी जाती है उसे महाप्राण ध्वनियाँ कहते है .
- प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण महाप्राण होता है .
- ख घ
- छ झ
- ठ ढ
- थ ध
- फ भ
- नोट - प्रत्येक ऊष्म व्यंजन महाप्राण होता है .[ श ष स ह ]
तारत्व के आधार पर -
तारत्व के आधार पर वर्ण के दो भेद होते है -
- घोष वर्ण
- अघोष वर्ण
घोष वर्ण -
- जिन वर्णों के उच्चारण में प्रकम्पन्न पैदा होता है ,उसे घोष वर्ण कहते है .
- प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवां वर्ण घोष वर्ण होता है .
- ग घ ङ
- ज झ ञ
- ड ढ ण
- द ध न
- ब भ म
- नोट - प्रत्येक अन्तस्थ और ह घोष वर्ण है .[ य र ल व ह } प्रत्येक स्वर वर्ण घोष वर्ण होता है .
अघोष वर्ण -
- प्रत्येक वर्ग का पहला और दूसरा वर्ण अघोष वर्ण है .
- क ख
- च छ
- ट ठ
- त थ
- प फ
- नोट - प्रत्येक ऊष्म व्यंजन [ ह को छोड़कर ] अर्थात श ष स अघोष वर्ण है .
उच्चारण के स्थान पर -
- कंठ - क ख ग घ ङ अ ह अ:
- तालू - च छ ज झ ञ इ य ज्ञ श
- मूर्धा - ट ठ ड ण ऋ र ष
- दन्त - त थ द ध न ळृ ल स
- ओष्ठ - प फ ब भ म उ
- दन्तोष्ठ - व
- कान्ठोष्ठ - ओ औ
- कंठ तालव्य - ए ऐ
- कंठ-मूर्धा - क्ष
- दन्त -मूर्धा - त्र
- तालू-मूर्धा - श्र'
- नासिक्य - ङ ञ ण न म
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महत्वपूर्ण बिंदु
- हिंदी में काकल्य वर्ण ( स्वर यंत्र मुखी ) केवल एक है - ह .
हिंदी में वत्स्य वर्ण 4 है - र ल ज स
वत्स्य का अर्थ होता है दंत के निचले हिस्से से बोले जाने वाले.
हिंदी में स्पर्श संघर्षी वर्ण 4 है - च छ ज झ .
हिंदी में संघर्षी वर्ण 3 है - श ष स.
हिंदी में विवृत्त वर्ण केवल एक है - आ.
अर्ध विवृत्त वर्ण तीन है - ऐ औ ऑ
समृत्त वर्ण चार है - इ ई उ ऊ .
अर्ध अमृत वर्ण दो है - ए ओ.
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